शनिवार, 3 जुलाई 2010

चश्मे वाले भाई


Saturday, July 03, 2010

आग दूर तक गई,

















ये शम्आ जल उठी तो आग दूर तक गई,

तेरे पहलु से जो उठे तो बात दूर तक गई।



दुश्मन को क्या खबर, दिवाने हो चुके हैं हम,

दुश्मन सभी हुए, जो बात दूर तक गई।



यकीं ना हो तो चाक कर दे अपना सीना भी,

उनकी रुसवाई का डर है, जो बात दूर तक गई।



सुना था छुप नही सकती कभी खशबू ज़माने से,

यह आज देख भी लिया, जो बात दूर तक गई।



दिल तो लगा लेते, मगर डर है हमें खुद से,

खुद को भुला लेंगे, जो बात दूर तक गई।



चान्दनी दूर ना हो जाए ये ज़ुलफें सवार लो,

कहीं कह दे ना ज़माना कि रात दूर तक गई।



साजिद

14 टिप्पणियाँ:

Parul ने कहा…

चान्दनी दूर ना हो जाए ये ज़ुलफें सवार लो,

कहीं कह दे ना ज़माना कि रात दूर तक गई।



kya baat hai :)साजिद

Amitraghat ने कहा…

"बेहतरीन......"

A Indian ने कहा…

Bahut Bhadiya Sir JI

sajid ने कहा…

Parul, Amitraghat, A indian
Thanks

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खूबसूरत गज़ल

sajid ने कहा…

धन्यवाद में आप का आभारी हु !
चाहता हु के आप मुझे प्रोत्साहन देते रहे !
शायद आप जैसी बड़ी हस्ती से मैं कुछ सीख सकू !

Mamta ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत
में आपकी फेन हो गई !

वन्दना ने कहा…

वाह वाह्………………बहुत सुन्दर गज़ल्।

sajid ने कहा…

Thanks

Shah Nawaz ने कहा…

बेहतरीन ग़ज़ल साजिद भाई. धीरे-धीरे निखार आ रहा है. बहुत खूब!

राजकुमार सोनी ने कहा…

ब्यारे भाई आज तो तुमने कमाल कर डाला। गजब का लिखा है। मेरी बधाई स्वीकार करोगे तो खुशी होगी.

sajid ने कहा…

धन्यवाद सोनी सर
कमाल मैंने नहीं किया कमाल आप के तारीफ करने के अंदाज़ में है !

MLA ने कहा…

Ek bahut hi Umda Gazal!

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

ये शम्आ जल उठी तो आग दूर तक गई,
तेरे पहलु से जो उठे तो बात दूर तक गई ।

वाह बहुत सुन्दर गजल.....

2 टिप्‍पणियां:

Raji Kumar ने कहा…

Tafri Baz Ji ye to Accha likhte hai in ko kyo chap diya apni post par

Udan Tashtari ने कहा…

चान्दनी दूर ना हो जाए ये ज़ुलफें सवार लो,
कहीं कह दे ना ज़माना कि रात दूर तक गई।


-बहुत बढ़िया निकाला है यह शेर! वाह!