ये चश्मे वाले भाई की ग़ज़ल तो अच्छी है पर कमेन्ट इनको भी चाहिए....तो सब से कहता हु के ये चश्मे वाले भाई को कमेन्ट करो और हॉट करो !
साजिद की क़लम
Saturday, July 03, 2010
आग दूर तक गई,
ये शम्आ जल उठी तो आग दूर तक गई,
तेरे पहलु से जो उठे तो बात दूर तक गई।
दुश्मन को क्या खबर, दिवाने हो चुके हैं हम,
दुश्मन सभी हुए, जो बात दूर तक गई।
यकीं ना हो तो चाक कर दे अपना सीना भी,
उनकी रुसवाई का डर है, जो बात दूर तक गई।
सुना था छुप नही सकती कभी खशबू ज़माने से,
यह आज देख भी लिया, जो बात दूर तक गई।
दिल तो लगा लेते, मगर डर है हमें खुद से,
खुद को भुला लेंगे, जो बात दूर तक गई।
चान्दनी दूर ना हो जाए ये ज़ुलफें सवार लो,
कहीं कह दे ना ज़माना कि रात दूर तक गई।
साजिद
14 टिप्पणियाँ:
चान्दनी दूर ना हो जाए ये ज़ुलफें सवार लो,
कहीं कह दे ना ज़माना कि रात दूर तक गई।
kya baat hai :)साजिद
"बेहतरीन......"
Bahut Bhadiya Sir JI
Parul, Amitraghat, A indian
Thanks
खूबसूरत गज़ल
धन्यवाद में आप का आभारी हु !
चाहता हु के आप मुझे प्रोत्साहन देते रहे !
शायद आप जैसी बड़ी हस्ती से मैं कुछ सीख सकू !
बहुत ख़ूबसूरत
में आपकी फेन हो गई !
वाह वाह्………………बहुत सुन्दर गज़ल्।
Thanks
बेहतरीन ग़ज़ल साजिद भाई. धीरे-धीरे निखार आ रहा है. बहुत खूब!
ब्यारे भाई आज तो तुमने कमाल कर डाला। गजब का लिखा है। मेरी बधाई स्वीकार करोगे तो खुशी होगी.
धन्यवाद सोनी सर
कमाल मैंने नहीं किया कमाल आप के तारीफ करने के अंदाज़ में है !
Ek bahut hi Umda Gazal!
ये शम्आ जल उठी तो आग दूर तक गई,
तेरे पहलु से जो उठे तो बात दूर तक गई ।
वाह बहुत सुन्दर गजल.....