चेहरा कितना हसीन है मेरे जनाब का
खिलता हुआ कंवल है हुस्नो शबाब का
एक नूर सी चमक आँखों ने उनकी पाई
चांदनी की रौनक जंमी पे उतर आई
जलती हुई शमां हो जैसे हिजाब का
चेहरा कितना हसीन है मेरे जनाब का
उनकी तरफ जो देखे दुनिया को भूल जाये
बेखुदी में गुम हो वो कुछ भी समझ न पाये
चढ़ता हुआ नशा हो जैसे शराब का
चेहरा कितना हसीन है मेरे जनाब का
लोकेश उपाध्याय
6 टिप्पणियां:
तफ़रीबाज़-आपने मुझको क्या समझा है जो यह कहा कि मुझे लिखना नही आता जनाब कम से कम मैं आपनी हद मे तो रहता हूँ!आप खुद को लेखक बताते है खुद कहने से कोई लेखक नही हो जाता जनाब आप मुझ से जले ना!
और हा पहले थोड़ा तमीज़ शिख लो जनाब तभी आप लेखक बन सकते हैं!
आपनी बकबास शायरी से लोगो को क्यू बोर कर रहे हो कभी मेरी शायरी पड़ना जनाब
चेहरा कितना हसीन है मेरे जनाब का
खिलता हुआ कंवल है हुस्नो शबाब का
इसीतरह अच्छा लिखे,खूब लिखें और बाकी को भी पढ़ें ...यही शुभकामनायें. ब्लॉग जगत में स्वागत है...
www.jugaali.blogspot.com
आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा। चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। हिंदी ब्लागिंग को आप और ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है।
http://gharkibaaten.blogspot.com
सेटिंग में जाकर शब्द पुष्टिकरण हटा दें तो लोगों को टिप्पणी देने में सुविधा होगी
इस चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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