श्रीमती जी की सबसे पंसदीदा चीज़ होती है शापिंग। अब शापिंग तो शापिंग है, ज़रूरत हो या ना हो लेकिन करनी है तो करनी है। उस पर तुर्रा यह कि इतनी महंगी वस्तु इतनी सस्ती ले आई। दुकानदार से दाम तय करने की भी अलग ही अदा होती है। पता नहीं श्रीमती जी दुकानदार को बेवकूफ बनाती हैं या दुकानदार श्रीमती जी को? लेकिन कटता तो बेचारा पति ही है।
थके हारे घर वापिस आए और आते ही आपके हाथ में चाय की प्याली आ गई तो समझो मामला गड़बड़ है। रोज़ तो चाय के लिए कहते-कहते थक जाते हैं, उस पर ज्यादा आवाज़ लगा ली तो सवाल ‘खुद क्यों नहीं बना लेते, देखते नहीं कितनी व्यस्त हूँ आपके बच्चों में’। ‘मेंरे बच्चे!’ मतलब अब यह बच्चे केवल मेरे हो गए। वैसे पत्नी के साथ छोटा तो कुछ होता ही नहीं है, चप्पल की ऐड़ी भी टूट गई तो समझो बड़ा नुकसान है। रास्ते में श्रीमती जी अपनी चप्पल तुड़वा बैठी, तो हमारे मूंह से निकल गया कि देख कर चल लेती। बस फिर क्या था ‘सस्ती चप्पलें दिलवाओगे तो यही होगा ना? इन्हे तो बस यही पसंद है कि रात-दिन घर में खपते रहो और कुछ मांगो मत। कहा था किसी अच्छे ब्राण्ड की दिलवा दो, लेकिन फर्क किसे पड़ता है? रास्ते में परेशान तो मैं हो रही हूँ ना।’ हम भी तपाक से बोले ‘लेकिन यह तुमने अपनी मर्ज़ी से ही तो खरीदी थी।’ जैसी दुकान पर ले जाओगे तो वैसी ही चप्पले खरीदूंगी ना।’ हमने मालूम किया ’लेकिन तुमने हमसे कब कहा था नई चप्पलों के लिए’? झट से बोली ‘तुम सुनते ही कब हो मेरी बात?
रास्ते में एक लड़की हमें देख रही थी, अब किसी की आंखे तो बंद कर नहीं सकते। परेशानी की बात यह हो गई कि श्रीमती जी ने उसे हमें देखते हुए देख लिया। वैसे अन्दर की बात तो यह है कि आप यमराज को तो मना सकते हैं लेकिन रूठी हुई पत्नी को मनाना नामुमकिन है! बात पत्नी की हो और सास का ज़िक्र ना आए? ‘सास’ नाम सुनते ही पत्नी एकदम से बहु बन जाती है। सास के सामने तो माँ जी, माँ जी, लेकिन पति के सामने बात ‘तुम्हारी माँ जी’ पर आ जाती है। अजीब रिश्ता है भय्या, एक-दूसरे को देखकर तेवर बदलना कोई समझ ही नहीं पाया है।
अंत में बस आपसे यही प्रार्थना है कि यह सब बाते मेंरी पत्नी को मत बताना, वर्ना!
अब चिटठा जगत मैं ऐसे ऐसे पोस्ट भी टॉप पर आ जाते है
क्या होगा चिटठा जगत का
1 टिप्पणी:
लगता है मित्र कि आपको व्यंग्य की समझ नहीं है....
शाह नवाज़ जी ने ये बहुत ही बढ़िया व्यंग्य लिखा है....
खैर आपको क्या कहें?...आपके ऊपर से ही निकल गई बात.... :-(
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